आजच्या बातमीनंतरच्या 'झटक्यात' :
बरसों बीते, देख रहे हो भ्रष्टाचार
बेटा, इतना तो समझो कमसे कम
नौ महीनें और पाच लाख दिये तो
हो जाय करोडों का घोटाला हजम
बाहर के दुश्मन करे हमसे धोखा तो
पुरी तैय्यारी है, हम उन्हे झेल लेंगे
अंदर के दुश्मन से रहो चौकन्ना यारों
ये साले कसाब को भी ‘बेल’ देंगे
- राफा
A1!!
ReplyDeleteफारच छान रचना.
ReplyDelete--अनिकेत वैद्य.
मोनिका, अनिकेत : अनेक आभार !
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